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शिमला- अनुसूचित जाति के छात्र के साथ शिक्षकों ने की मारपीट, पैंट में डाली बिच्छूबूटी, एक साल से कर रहे थे प्रताड़ित

हिमाचल प्रदेश के शिमला में एक शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है जहां प्राथमिक स्कूल के शिक्षकों पर एक दलित छात्र के साथ बार-बार मारपीट करने और उसकी पैंट में बिच्छूबूटी रखने का आरोप लगा है।

छात्र के पिता ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई है कि शिमला जिले के रोहड़ू उप-मंडल के खड़ापानी इलाके में एक सरकारी प्राथमिक स्कूल में उनका बेटा पहली क्लास में पढ़ता है। उन्होंने हेडमास्टर देवेंद्र, शिक्षक बाबू राम और कृतिका ठाकुर पर लगभग एक साल से उनके बेटे के साथ अक्सर मारपीट करने का आरोप लगाया है। शिकायतकर्ता ने कहा कि लगातार पिटाई से बच्चे के कान से खून बहने लगा और उसके कान का पर्दा क्षतिग्रस्त हो गया।  

उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षक उनके बेटे को स्कूल के शौचालय में ले गए, जहां उन्होंने उसकी पैंट में बिच्छूबूटी रख दी। शिकायत के बाद, पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 127(2) (गलत तरीके से कारावास), 115(2) (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 351(2) (आपराधिक धमकी), 3(5) (समान इरादे से आपराधिक कृत्य) और किशोर न्याय अधिनियम के तहत बच्चे के प्रति क्रूरता के तहत मामला दर्ज किया है। शिक्षकों पर एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धाराओं के तहत भी आरोप लगाए गए हैं, जो जबरन कपड़े उतारने या मानवीय गरिमा के लिए अपमानजनक समान कृत्य और अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्य के खिलाफ अपराध से संबंधित हैं।

पुलिस ने जानकारी दी कि वरिष्ठों को निर्देश भेजने के लिए एक पत्र भेजा जा रहा है कि क्या जांच किसी राजपत्रित अधिकारी से कराई जानी है। पिता के अनुसार, शिक्षकों ने लड़के को यह कहकर धमकाया कि अगर उसने घर पर शिकायत की, तो वे उसे गिरफ्तार कर लेंगे। उन्होंने कहा कि अगर मामला सार्वजनिक किया गया तो शिकायतकर्ता के परिवार को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे और उन्हें धमकी दी, "हम तुम्हें जला देंगे।"

लड़के के पिता को भी चेतावनी दी गई कि वे पुलिस में शिकायत दर्ज न कराएं और न ही सोशल मीडिया पर इस घटना के बारे में पोस्ट करें, वरना उन्हें "अपनी जान से हाथ धोना पड़ेगा"।

शिकायतकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि कृतिका ठाकुर का पति नितीश ठाकुर पिछले एक साल से उसकी जगह पर स्कूल में अवैध रूप से छात्रों को पढ़ा रहा है। उन्होंने स्कूल में शिक्षकों द्वारा जातिगत भेदभाव का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भोजन के दौरान नेपाली और अनुसूचित जाति के छात्रों को राजपूत छात्रों से अलग बैठाया जाता था।

मुख्य संवाददाता
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