img

अंबेडकरवादी लेखक संघ का तृतीय दलित साहित्य महोत्सव दिल्ली के आर्यभट्ट कॉलेज में 3-4 फरवरी को आयोजित होगा

दिल्ली (2 फरवरी, 2023) : अंबेडकरवादी लेखक संघ (अलेस) की ओर से तीसरा दलित साहित्य महोत्सव 3 और 4 फरवरी देश की राजधानी दिल्ली में दिल्ली विश्वविद्यालय के दक्षिण परिसर में स्थित आर्यभट्ट कॉलेज में आयोजित किया जा रहा है। इस बहुचर्चित कार्यक्रम को सफल बनाने में अलेस की पूरी टीम पिछले कई महीनों से दिन-रात तैयारी में जुटी हुई है, जिसके प्रचार-प्रसार के लिए कई आकर्षक पोस्टर भी जारी किए गए थे।  
 
अलेस के पदाधिकारियों के मुताबिक तीसरे दलित साहित्य महोत्सव में शामिल होने के लिए अंबेडकरवादी वैचारिकी को मानने वाले और अन्य सकारात्मक परिवर्तनकारी साहित्यकार, चिंतक, प्रोफेसर, पत्रकार, समाजसेवी देश की राजधानी दिल्ली में पहुंच गए हैं। जिनके रहने और खाने की व्यवस्था भी आयोजकों की तरफ से की गई है।  

अंबेडकरवादी लेखक संघ (अलेस) के पदाधिकारियों डॉ. बलराज सिंहमर, सूरज बड़जात्या, प्रो. प्रमोद मेहरा, डॉ. अशोक बंजारा और डॉ. सीमा माथुर ने तीसरे दलित साहित्य महोत्सव 'एक बेहतर दुनिया के निर्माण में मील का पत्थर' साबित होगा। इसके साथ ही प्रो. मनोज सिन्हा, प्रो. मोहनदास नैमिशराय, प्रो. श्यौराज सिंह बैचेन, डॉ. जयप्रकाश कर्दम, प्रो. हेमलता महिश्वर, डॉ. रजत रानी मीनू समेत तमाम वरिष्ठ साहित्यकारों ने इस कार्यक्रम को महत्वपूर्ण बताया है।    
 
अलेस के पदाधिकारियों के मुताबिक तीसरे दलित साहित्य महोत्सव की थीम ‘साहित्य से एक बेहतर दुनिया संभव है’ रखी गई है। जिसकी शुरुआत 3 फरवरी को सुबह 10 बजे उद्घाटन सत्र साहित्य : एक बेहतर दुनिया की संभावनाएं से होगी। जिसके बाद दोपहर 2 बजे से साढ़े 3 बजे तक दो समानांतर सत्र आयोजित किए जाएंगे, जिनमें पहला समानांतर सत्र-1 हाशिया की स्त्री : साहित्य और समाज और पहला समानांतर सत्र-2 दलित साहित्य : अतीत, वर्तमान और भविष्य पर मंथन किया जाएगा। इसके बाद शाम साढ़े 3 बजे से शाम 5 बजे तक दो समानांतर सत्र आयोजित होंगे, जिसमें दूसरा समानांतर सत्र-1 में अंग्रेजी में दलित साहित्य पर चर्चा होगी। इसके साथ ही दूसरा समानांतर सत्र-2 आदिवासी-दलित समुदाय : उत्पीड़न-प्रतिरोध एवं अधिकार पर मंथन किया जाएगा। इसके अलावा शाम 5 बजे से रात 7 बजे तक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।  
 
तीसरे दलित साहित्य महोत्सव में दूसरे दिन यानी 4 फरवरी को सुबह साढ़े 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक दो सत्र होंगे, जिसमें तीसरा समानांतर सत्र-1 सिनेमा और हाशिए का समुदाय और तीसरा समानांतर सत्र-2 अल्पसंख्यक- साहित्य और समाज में वर्तमान पर आधारित होगा। उसके बाद दोपह 12 बजे से डेढ़ बजे तक चौथा समानांतर सत्र-1 महिला उत्पीड़पन और प्रतिरोध की चेतना और चौथा समानांतर सत्र-2 LGBTQIA+समुदाय : सामाजिक- साहित्य सम्मान से बेदखली विषय पर आयोजित होगा। इसके बाद दोपहर डेढ़ बजे से ढाई बजे तक नुक्कड़ नाटक, शोध प्रत्र प्रस्तुत किए जाएंगे। इसके बाद दोपहर ढाई बजे से शाम 4 बजे तक कबीर काव्य गोष्ठी आयोजित की जाएगी। जिसके बाद समापन सत्र में पैगाम- साहित्य से एक बेहतर दुनिया संभव है विषय पर मंथन किया जाएगा। समापन सत्र के बाद शाम साढ़े 5 बजे से रात साढ़ 7 बजे तक सांस्कृतिक क्रार्यक्रम आयोजित किया जाएगा, जिसमें प्रसिद्ध निर्देशक श्याम कुमार अपना प्रस्तुत करेंगे।

‘तीसरे दलित साहित्य महोत्सव’ में दोनों दिन आयोजित किए जाने वाले सभी सत्रों में कार्यक्रम के अंबेडकरवादी लेखक संघ (अलेस) के पदाधिकारियों  डॉ. बलराज सिंहमर, सूरज बड़जात्या, प्रो. प्रमोद मेहरा, डॉ. अशोक बंजारा और डॉ. सीमा माथुर, डॉ. हेमलता महेश्वर के अलावा डॉ. श्योराज सिंह बेचैन, डॉ. जयप्रकाश कर्दम, सुदेश तनवर अनुज कुशवाहा, देशराज सिंह बौद्ध, संजीव डांडा, मनोज सिन्हा, उर्मिलेश, रवि नारा, डी.रमा नाईक, मंजु मुकुल, सरोज कुमारी, डॉ. चौथीराम यादव, डॉ. रजत रानी मीनू, पूनम कुमारी, स्नेहलता नेगी, रमेश भंगी, हेलता, बी.मंगलम, नूतन यादव, सीमा सैनी, मोहनदास नैमिशराय, कालीचरण स्नेही, रामचंद्र, के.पी. सिंह, डॉ. राजेश पासवान, अजमेर काजल, राजेन्द्र बड़गुजर, विवेक कुमार, महेंद्र बैनीवाल, नितिशा खलखों, मुकेश मीणा, अन्नू मेहरा, अबंर सिंह चव्हाण, मुकेश मिरोठा, अरुण खोटे, राजेन्द्र रवि, मामचंद सागर समेत अन्य गणमान्य हस्तियां मंच पर सहभागिता कर अपने-अपने विचार व्यक्त करेंगे।
         

मुख्य संवाददाता
मुख्य संवाददाता
मुख्य संवाददाता
PROFILE

' पड़ताल ' से जुड़ने के लिए धन्यवाद अगर आपको यह रिपोर्ट पसंद आई हो तो कृपया इसे शेयर करें और सबस्क्राइब करें। हम एक गैर-लाभकारी संगठन हैं। हमारी पत्रकारिता को सरकार और कॉरपोरेट दबाव से मुक्त रखने के लिए आर्थिक मदद करें।

संबंधित खबरें

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked with *

0 Comments

मुख्य ख़बरें

मुख्य पड़ताल

विज्ञापन

संपादकीय

  • शिक्षक दिवस का चयन और जातिवादी मानसिकता

    शिक्षक दिवस एक बहुत ही पवित्र और सराहनीय दिवस है। ऐसे में इस दिन की महत्ता और बढ़ जाती है जब गुरु-शिष्य की परंपरा और मर्यादा खत्म हो रही है। वास्तव में डॉ. राधाकृष्णन  भारतीय संस्कृति से ओतप्रोत…

वीडियो

Subscribe Newsletter

फेसबुक पर हमसे से जुड़े