केंद्रीय राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल आज संत रविदास जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित कई कार्यक्रमों में नज़र आए। दमोह के ग्राम खजरी में आयोजित एक सहभोज कार्यक्रम में वे लोगों की झूठी पत्तलें उठाते दिखे। वहां मौजूद लोगों ने मंत्री जी का सामाजिक समरसता से भरा एक नया अंदाज देखा। केंद्रीय स्तर के मंत्री द्वारा आम लोगों की झूठी पत्तल उठाना लोगों को आश्चर्यचकित कर रहा था।
जब हमने केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल से इस बारे में बातचीत की तो उन्होंने कहा कि इसमें हैरानी की कोई बात ही नहीं है, मैं मंत्री बाद में हूं जनता का सेवक पहले हूं, आज रविदास जयंती है हमें रविदास जी की मानवतावादी, समता पर आधारित शिक्षाओं को आत्मसात करना होगा, तभी हम एक मजबूत, सुदृढ़, समता पर आधारित समाज का निर्माण कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि मा. प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने राजनीति और सत्ता के मायने बदल दिए हैं, वो हमेशा कहते हैं हम जनता के सेवक हैं, जनता सर्वोपरि है, कोई भी पद बाद में आता है, मा. प्रधानमंत्री जी का संकल्प है कि पंक्ति के आखिरी व्यक्ति को भी देश की मुख्यधारा से जोड़ना है और उनके संकल्प को पूरा करना हम सबकी जिम्मेदारी है।
केंद्रीय राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने कहा कि जो वर्ग या समाज पीछे रह गया उसे बराबरी पर लाने का पुनीत कार्य हम सबको मिलकर करना होगा। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जयंती पर समरसता भोज में शामिल होने के लिए मैने यह शर्त रखी थी कि मैं भोजन के लिए तभी आउंगा जब मैं वहां लोगों को खाना परोसने के बाद उनकी झूठी पत्तल भी उठाउँगा। अब ये परंपरा तय हो चुकी है कि जहां पर भी हम लोगों के बीच जायेंगे वहां पर भोजन तो करेंगे ही, झूठे पत्तल भी उठाएंगे।
कार्यक्रम में मौजूद लोगों ने बताया कि पहले नेता आते थे साथ में बैठकर खाते थे और चले जाते थे, वो हमारे बीच सिर्फ राजनैतिक रोटियां सेंकने आते थे लेकिन ऐसा पहले कभी नहीं होता था कि इतने बड़े ओहदे का कोई नेता हम लोगों की झूठी पत्तले उठा रहा है।, उन्होंने बताया कि प्रहलाद सिंह पटेल जी ने ऐसा पहली बार नहीं किया है इससे पहले भी कई आयोजनों के दौरान वे लोगों को भोजन परोसते और उनकी झूठी पत्तले उठाते देखे गए हैं। उन्होंने कहा कि मोदी जी जब से प्रधानमंत्री बने हैं तब से देश सही मायनों में बदल रहा है। अब नेता, मंत्री, राजा की तरह नहीं जनता के सेवक की भूमिका में दिखते हैं ऐसा कांग्रेस की सराकारों में कभी नहीं हुआ। तब राजतंत्र महसूस होता था लेकिन अब जनतंत्र की भावना महसूस होती है, जहां सब समान है कोई छोटा या बड़ा नहीं है।