नई दिल्ली- बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संत गुरु रविदास जी की भक्ति में सरोबार नजर आएं। गुरु रविदास जी की जयंती जयंती के अवसर पर वह करोल बाग स्थित श्री गुरु रविदास विश्रामधाम मंदिर में और मत्था टेककर देश की उन्नति व देशवासियों के कल्याण की प्रार्थना की।
उन्होंने मन्दिर में भजन-कीर्तन गाती महिलाओं की टोली के बीच जाकर बैठ गए और आग्रहपूर्वक उनसे झांझ लेकर बजाने लगे। यहीं नहीं उन्होंने सस्वर "मेरे सतगुरु दीनदयाला, तेरा नाम जय करूं। मेरे रविदास तेरा नाम जपा करूं... भजन गाए। यहां रोजाना भजन-कीर्तन होता है, जिससे 200 से अधिक महिलाएं जुड़ी हुई हैं। हालांकि, प्रधानमंत्री के आगमन को देखते हुए केवल 20 महिलाओं की टोली को ही आने की अनुमति थी। मंदिर से जुड़े लोगों ने उन्हें शाल व माला पहनाने के साथ श्री गुरु रविदास की मूर्ति भेंट की। प्रधानमंत्री ने मंदिर में बिताए इन पलों को यादगार बताया।
प्रधानमंत्री के आगमन से न सिर्फ संत रविदास के अनुयायी बल्कि पूरे करोलबाग के लोग आह्लादित नजर आएं। जैसे ही उनके आगमन की जानकारी मंदिर के लोगों को मिली, वैसे ही उनकी रात की नींद उड़ गईं। भजन गाने वाली भक्त शशिबाला ने बताया कि उन्हें एक दिन पहले दोपहर बाद इसकी जानकारी मिली थी। साथ ही भजन गाने वाली महिलाओं का कोरोना टेस्ट कराया गया। देर रात उन्हें बताया गया कि वे वहां मौजूद रहेंगी। वह कहती है कि वह पूरी रात सो नहीं पाईं। सुबह सात बजे वह मंदिर आ गईं।
देव नगर की 72 वर्षीय गंगोवती ने बताया कि वह मंदिर से बचपन से जुड़ी हुई है। पहली बार इस मंदिर के साथ क्षेत्र में किसी पीएम को आते देखा है। महिला मंडली की सत्संगी दमयन्ती देवी, शांति देवी, दयावती, ईश्वरी देवी, प्रेमलता देवी, शारदा देवी व अन्य महिलाओं ने बताया कि प्रधानमंत्री ने उनसे हालचाल पूछा और उनकी झांझ लेकर बजाने लगे। ये उनके जीवन का सबसे ऐतिहासिक क्षण है।
इसी तरह का उत्साह कीर्तन करने वाली अन्य महिलाओं में दिखा जो प्रधानमंत्री के जाने के बाद भी उत्साह से लय में भजन को गाते हुए झूम रही थीं। जितना उत्साह मंदिर के भीतर था, उतना बाहर भी। बाहर सुरक्षा कारणों से बैरिकेड्स लगाकर मंदिर आने वाले रास्तों को बंद कर दिया गया था, लेकिन स्थानीय लोग हर बैरिकेड्स के पास आकर खड़े हो गए थे और एक टक उस रास्ते को देख रहे थे जिधर से प्रधानमंत्री गुजरने वाले थे। कई स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था थी।