यूपीएससी की ओर से 45 पदों पर लेटरल एंट्री यानी सीधी भर्ती के विज्ञापन पर विवाद बढ़ने के बाद केंद्र सरकार ने यूपीएससी से इस विज्ञापन को निरस्त करने आदेश जारी किए हैं।
इस मामले को लेकर केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने यूपीएससी को लिखे पत्र में कहा है कि लेटरल एंट्री की प्रक्रिया हमारे संविधान में निहित समानता और न्याय के आदर्शों पर आधारित होनी चाहिए। खासकर, आरक्षण के प्रावधानों को लेकर।
इसके अलावा केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने सामाजिक न्याय के प्रति हमेशा अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है। अश्विनी वैष्णव ये भी कहा कि यूपीएससी में लेटरल एंट्री का जो पारदर्शी फैसला लिया था, उसमें आरक्षण का सिद्धांत लगे ऐसा निर्णय लिया गया है।
आपको बता दें कि यूपीएससी ने 17 अगस्त को 24 केंद्रीय मंत्रालयों में सेक्रेटरी, डायरेक्टर और डिप्टी सेक्रेटरी जैसे पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन निकालकर आवेदन मांगे थे। लेकिन इस विज्ञापन ने सियासी विवाद खड़ा कर दिया। विपक्षी पार्टियों के साथ ही एनडीए के सहयोगी दल एलजेपी ने भी इस फैसले का विरोध किया था।
इस विज्ञापन का विरोध करने वालों दलों का कहना था कि इन भर्तियों में आरक्षण का प्रावधान नहीं होने से अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ों वर्गों का हक मारा जाएगा।
केंद्र सरकार की तरफ से यूपीएससी के इस विज्ञापन को निरस्त करने के फैसले को कांग्रेस, बीएसपी, एसपी समेत सभी विपक्षी दलों ने संविधान की जीत बताया है। इसके साथ ही एनडीए सरकार में केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने इस फैसले पर खुशी जताई है।