नई दिल्ली- संगीत नाटक अकादेमी रत्न सदस्यता और पुरस्कार (2018) द्वारा सम्मानित कलाकारों का संगीत, नृत्य और नाट्य प्रस्तुति उत्सव का ग्यारहवां दिन संजय उपाध्याय द्वारा निर्देशित, विनय कुमार की कविता पर आधारित हिंदी नाटक "यक्षिणी" के साथ सम्पन्न हुआ। रोज की तरह उत्सव के आखिरी दिन भी कमानी ऑडिटोरियम में कलाकारों की कला देखने को उत्सुक दर्शकों की भीड़ जमा रही।
बिहार के पटना जिले के नाटक निर्देशक और संगीत नाटक अकादेमी पुरस्कार से पुरस्कृत संजय उपाध्याय ने नाटक के द्वारा दर्शकों को देश के प्राचीन सभ्यता से अवगत कराया।
यह नाटक पटना के दीदारगंज से मिली एक यक्षिणी की मूर्ति पर आधारित था। इस नाटक के जरिये दर्शकों ने जाना कि जब एक कवि किसी मूर्ति को देखता है तो वह किस प्रकार सोचता है और क्या मंथन करता है। बता दें कि, बिहार संग्रहालय में संरक्षित दीदारगंज की यक्षिणी पर केंद्रित विनय कुमार की 150 पन्नो की कविता श्रृंखला "यक्षिणी", 2019 में राजकमल प्रकाशन से छपी थी और बहुत जल्द प्रसिद्ध हो गई थी। इस मौर्य कालीन मूर्ति के बहाने लोगों ने देश के प्राचीन कला के बारे में जाना। इस नाटक के जरिये यह भी बताने की कोशिश की गई कि यक्षिणी मूर्ति कब, कैसे और कहां बनाई गयी थी और इसे 1917 में पटना के दीदारगंज से ही क्यों पाया गया।
संजय उपाध्याय के आज के नाटक मंचन के साथ ही संगीत नाटक अकादेमी पुरस्कार द्वारा सम्मानित कलाकारों का ग्यारह दिनों का प्रदर्शन सम्पन्न हुआ। इस कार्यक्रम के जरिये देश वासियों को भारत के विभिन्न राज्यों के महान कलाकारों को प्रत्यक्ष प्रदर्शन करते देखने का अवसर मिला। इसके साथ ही लोगों को देश की संस्कृति और सभ्यता को करीब से देखने और जानने का मौका मिला। कार्यक्रम के अंतिम दिन भी दर्शकों ने तालियों के साथ कलाकारों का सम्मान और उत्साहवर्धन किया।