दिल्ली में 7 सितंबर 2022 को दिल्ली विश्वविद्यालय के
मोतीलाल नेहरू कॉलेज में एल्यूमुनाई कमेटी के तत्वावधान में डॉ.अनीता एवं डॉ.बलराज
सिहमार की पुस्तक "हिन्दी सिनेमा और अस्मितामूलक विमर्श" का विमोचन और
परिचर्चा का आयोजन किया गया, जिसका उद्घाटन मोतीलाल नेहरू कॉलेज के प्राचार्य प्रो.
श्रीवत्स ने किया।
प्रो.रामचंद्र की अध्यक्षता में हुए इस कार्यक्रम में
प्रो.राकेश कुमार, प्रो.मंजू मुकुल, प्रो.प्रमोद कुमार ने पुस्तक पर अपने महत्वपूर्ण विचार
व्यक्त किए। जिन्हें सभागार में उपस्थित सभी श्रोताओं और वक्ताओं ने बड़ी तन्मयता
से सुना और सिनेमा को एक नये दृष्टिकोण से देखने और समझने के लिए प्रेरित किया।
सबसे पहले प्रो.प्रमोद ने "वो सुबह कभी तो
आएगी" से अपना वक्तव्य शुरू किया और सभी श्रोताओं को सिनेमा से संबधित
महत्वपूर्ण जानकारियां उपलब्ध कराई। प्रो. राकेश कुमार ने पुस्तक के बारे में कहा
कि पुस्तक 'हिन्दी सिनेमा और
अस्मितामूलक विमर्श' हिन्दी सिनेमा को
एक नये दृष्टिकोण से देखने और समझने का आग्रह ही नहीं करती, बल्कि सोचने को मजबूर
करती है। प्रो.मंजु मुकुल ने लेखकों को बधाई देते हुए कहा कि यह पुस्तक हिन्दी
सिनेमा के इतिहास और वर्तमान को देखने के लिए पाठकों को एक अलग नजरिये से देखने के
लिए प्रेरित करती है तथा यह पुस्तक गागर में सागर का काम करेगी।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. अशोक कुमार ने बड़े ही
बेहतरीन ढंग से किया। इस दौरान लेखिका डॉ. अनीता ने भी पुस्तक पर आपने विचार रखे
इसके अलावा डॉ.बलराज सिहमार ने भी बताया कि पुस्तक सिनेमा प्रेमियों, साहित्यिक और सभी लोगों को क्यों पसंद आएगी। उन्होंने
हिन्दी सिनेमा को अस्मितामूलक नजरिए से देखने का प्रयास किया है।
मोतीलाल नेहरू कॉलेज में एल्यूमुनाई कमेटी के समन्वयक
डॉ. महेंद्र ने भी पुस्तक के बारे में अपने विचार रखे। डॉ.संदीप, डॉ.जितेंद्र, पवन, अशोक बनजारा ने
भी कार्यक्रम में उपस्थित होकर वक्ताओं को पौधे देकर उनका स्वागत और सम्मान किया। कार्यक्रम
की सार्थकता और सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि कार्यक्रम के श्रोता कब तक
कार्यक्रम में डटे रहते हैं और धैर्यपूर्वक सुनते हैं। यहां सभागार शुरुआत से लेकर
अंत तक भरा हुआ था। जिसमें जेएनयू , दिल्ली विश्वविद्यालय, जामिया मिल्लिया विश्वविद्यालय के शोधार्थी और मोतीलाल,रामलाल,आर्यभट्ट कालेज
के छात्र-छात्राओं ने बड़ी संख्या में भागेदारी निभाई। काफी पुराने छात्र-छात्राओं
ने कार्यक्रम में सम्मिलित होकर अपनी महत्वपूर्ण भागेदारी निभाई। जाकिर हुसैन
कालेज से डॉ.लालजी, डॉ.शब्बीर
मोहम्मद, डॉ.प्रेमपाल समेत
कई अन्य शिक्षक साथियों ने भी कार्यक्रम में अपनी गरिमामयी उपस्थिति बनाए रखी।
कार्यक्रम का समापन करते हुए डॉ.ममता ने भी अपने
महत्वपूर्ण विचार रखे , उन्होंने बताया
कि पुस्तक को उन्होंने एक बार में ही पढ़ डाला, पुस्तक में सिनेमा को लेकर जो जानकारियां मिलती हैं वो
बिल्कुल अलग दृष्टिकोण लिये हुए है जो सिनेमा को देखने की परंपरागत दृष्टि को छोड़कर
नयी दृष्टि से सोचने के लिए मजबूर करती हैं। उन्होंने सभी वक्ताओं और सभागार में
उपस्थित साथियों,श्रोताओं का
हार्दिक धन्यवाद ज्ञापन किया।