दोस्तों बहुत
बुरा लगता है यह सुनकर कि एम.एस.सी पास लड़की बेरोजगारी और शोषण के कारण घर में
बैठी सिलाई करके अपने परिवार का पेट पाल रही है | एम.बी.ए किये बेरोजगार गांव में
मिस्त्री बनकर दिन का पांच सौ कमा रहे हैं और बीएड बेरोजगार जिन्हें समय पर जॉब ना
मिल पाने के कारण और ओवर ऐज हो जाने के कारण ईट -भट्टे पर धूप में लेवरी करने को
विवश हैं कि मंहगाई इतनी ज्यादा है तो क्या करें गरीब का सारा पैसा पढाई और ट्यूशन
- कोचिंग में गया और दुर्भाग्यवश नौकरी भी नहीं मिली तो पेट और परिवार के लिये जो
दिख रहा वो कर रहा बेरोजगार |
आज विश्व में वैश्विक रिपोर्ट यूएन
के मुताबिक, विश्व में कुल 20 करोड़ बेरोजगार युवा हैं और भारत में देश की कुल आबादी के लगभग 11 फीसदी यानि 12 करोड़ बेरोजगार हैं जोकि दिन-रात नौकरियां ढूंढ़ने में व्यस्त हैं | भारत में 15-59 आयु वर्ग के मात्र 21.2 फीसदी लोग ही हैं जो वेतन पर काम करते हैं | जबकि श्रम मंत्रालय की श्रम ब्यूरो
द्वारा जारी ताजा सर्वेक्षण रिपोर्ट के आंकड़े यह बताते हैं कि बीते वित्त वर्ष
में राष्ट्र स्तर पर बेरोजगार की दर बढ़कर 4.9 % पर पहुंच गयी थी जो 2012-13 में 4.7 % थी | वहीं दूसरी ओर शहरी क्षेत्रों में
बेरोजगारी की दर 2013-14 से घटकर 5.5 % पर आ गयी जो इससे पिछले वित्त वर्ष
में 5.7% आंकी गयी | जिसमें पुरुषों की बेरोजगारी की दर 2013-14 में बढ़कर 4.1 % पहुंच गयी जोकि 2012-13 में 4 % थी | वहीं महिलाओं में बेरोजगारी की दर
बढकर 7.7% पहुंच गयी जोकि 2012-13 में 7.2 % थी | शहरों में महिलाओं के बीच बेरोजगारी
की दर घटकर 12.4 % पर आ गयी जोकि 2012-13 में 12.8 % थी | सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि
इनमें पढ़े-लिखे युवाओं की संख्या सबसे अधिक है और बेरोजगारों में 25 % 20 - 24 आयुवर्ग के हैं, जबकि 25 - 29 वर्ष की उम्र वाले युवकों की संख्या 17 % है | 20 वर्ष से ज्यादा उम्र के 14.30 करोड़ युवाओं को नौकरी के लिये सिर पीट रहें हैं | इस साल बेरोजगारी दर 3.8 % होने का अनुमान व्यक्त किया गया है, जो पिछले साल 3.7% थी |
यह हालात देखकर बस यही शब्द लिखने
को विवश हूँ कि बेरोजगार की आंख का आंसू देश के भावी, भयावह हालात का आईना है | अब भी ना नींदें टूटीं तो इस आंसू
को सुनामी बनने से कोई रोक नहीं पायेगा | जिसमें फिर भारी जन- धन हानि तय है | आज ना जाने कितने ही बेरोजगार अपराध की काली दुनिया में कदम रख चुके हैं
जिसके परिणाम ना जाने कितने बेकसूर लोग रोज भुगत रहे हैं | जैसे कि आप रोज ही सुनते होगे कि महिलाओं की गले से चैन खिंच रहीं हैं और
पुरूषों की जेब कट रही है| अब हालात बेकाबू हों जायें उससे पहले सरकार को इस ओर गम्भीरता दिखानी होगी
और पुराने बंद पड़े कारखाने, मिलें, लघु और कुटीर उद्दोग पुन: संचालित करने होगें और नवीन कारखाने लगाने होगें | जिससे कि कोई भी बेरोजगार व्यक्ति आतंक, भ्रष्टाचार, दुराचार एंव अन्याय करने को विवश न हो | प्रत्येक व्यक्ति शांति और खुशी
चाहता है पर वो मजबूरीवश पाप करने को विवश होता है जिससे उसका पूरा जीवन खराब हो
जाता है जोकि देश की किसी भी जेल में अपराधियों की बड़ी संख्या से लगाया जा सकता
है | हमारे देश के प्रधानमंत्री जी अगर विनम्रता से पूरे देश से वोट मांग सकते
हैं तो हम सभी बेरोजगार विनम्रता से जॉब मांग सकते हैं, अपील करने का मौलिक अधिकार तो सभी को है | सरकार को ओवरऐज की कगार पर खड़े
प्रशिक्षित बेरोजगारों को सरकारी व अर्द्धसरकारी नौकरियों में आयु के अनुरूप
वरीयता देनी चाहिये ताकि देश का युवा हताश और निराश होकर गलत कार्य करने को विवश न
हो सके |हमारे देश की प्रतिभायें बेरोजगारी और उपेक्षा के कारण परदेश पलायन कर रहीं
हैं जोकि विकसित भारत निर्माण के सपने के लिये बहुत चिंता का विषय है |
हम सभी प्रदेशों की सरकारों से यही निवेदन करते हैं कि वह अब मौन ना रहें
और इस ओर गम्भीरता से सोचें और ध्यान दें कि देश के सभी जिला रोजगार कार्यालय जो
निष्क्रिय पड़े हैं उनको सक्रिय किया जाये | जिससे जिला रोजगार कार्यालयों से
जारी हों सभी सरकारी, अर्द्धसरकारी एंव निजीकारी नौकरियाँ | जिससे कि जिला स्तर के बेरोजगार
लोगों को इन नौकरियों के बारे में सूचना प्राप्त हो और वे इन कार्यालयों के माध्यम
से रोजगार प्राप्त कर सकें और देश के विकास के स्वर्णिम रथ को बहुत आगे ले जा सकें
और "युवा सशक्त भारत" के महान स्वतंत्रता सेनानी श्री सुभाष चन्द्र बोस
जी और आदर्श राष्ट्रपति ऐपीजे कलाम जी तथा देश के सवा सौ करोड़ मतदाताओं के अधूरे
सपने पूर्ण हो सकें |
( हमारा सुझाव : प्रशिक्षण के बाद निरस्त हो जोड़ा गया अतिरिक्त परीक्षण जो
प्रशिक्षणार्थी को बेरोजगार बनाने के लिये कमजोर एंव मजबूर करता है )
आकांक्षा
ब्लॉगर 'समाज और हम'